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पाठयक्रम


निसाबे तालीम वज़ाअ करने में अलजामियातुल कादरिया का मतम, नज़र यह है कि ऐसे अफराद पैदा किये जाये जो इस्लाम के दावती निजाम को आम कर सकें और इस्लाम के हमागीर पैग़ाम को सिर्फ मुसलमानों तक महदूद करके न छोड़ दें यही वजह है कि यहां का निसाबे तालीम तमाम दीनी ज़रूरतोें पर मु”तमिल होने के साथ-साथ मुकम्मल असरी तकाज़ों से लैस है जैसा कि मन्दरजा ज़ेल तफ्सील से ज़ाहिर है।



इनमें बाज़ फुनून ऐसे हैं जो सारे दर्जो में मुश्तरक हैं मसलन अरबी, इंगलिश, अदब, इन्शा और बाज़ वह हैं जिनकी एक या दो किताबें दस्तेयाब हैं मसलन ऊरूज, फरायज़ और फलसफा बाज़ वह हैं जिनकी कसीरो वाफिर किताबे दस्तेयाब हैं मसलन तफ्सीर, हदीस, फिक, उसूले फिक वगैरह। इस तफ्सील से अन्दाजा किया जा सकता है कि निसाब के अन्दर उलूमे दीनया की सलाहियत पैदा करने के साथ-साथ अकली उलूम से आगाही की किस कदर रियायत रखी गयी है।



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